जागती जोत : मुख पत्रिका : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
लखदाद। जोरदार काम कर दियो आप तो। लाग्या रैवो।लीक-लीक गाडी चालै, लीकां चलै कपूत।लीक छोड तीन चलै, सायर-सिंघ-सपूत॥आप नूवीं लीक काढी। रंग है आपनै।
BHAI DULARAM,LAKHDAD.VISHWANATH BHATI
भाई साहब ब्लॉग पर फॉण्ट सही नहीं दिख रहे हैं। शायद यह टेम्पलेट बदलने की जरूरत है। लेकिन मुझे यकीन आपने जो लिखा वो अच्छा ही है।
It is a good work for researchers.Many thanks to Dear Dularam.
लखदाद। जोरदार काम कर दियो आप तो। लाग्या रैवो।
ReplyDeleteलीक-लीक गाडी चालै, लीकां चलै कपूत।
लीक छोड तीन चलै, सायर-सिंघ-सपूत॥
आप नूवीं लीक काढी। रंग है आपनै।
BHAI DULARAM,LAKHDAD.
ReplyDeleteVISHWANATH BHATI
भाई साहब ब्लॉग पर फॉण्ट सही नहीं दिख रहे हैं। शायद यह टेम्पलेट बदलने की जरूरत है। लेकिन मुझे यकीन आपने जो लिखा वो अच्छा ही है।
ReplyDeleteIt is a good work for researchers.Many thanks to Dear Dularam.
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