खुद रै सांमी खुद (आत्‍मकथ्‍य)

A
B

बस्तीमल सोलंकी : लिखूं पण स्वाभिमान रै साथै १०
जुलाई १९९६ : २५ अंक ४

बुद्धिप्रकाश पारीक : अपणै मूंडै मियां मिट्ठू ७
जुलाई १९९७ : बरस २६ अंक ४

बैजनाथ पंवार : डांग पर डेरा १६
फरवरी १९९७ : बरस २५ अंक ११

डॉ. भगवतीलाल व्यास : म्हारो लेखन सौकिया अर प्रासंगिक नीं २४
मई १९९७ : बरस २६ अंक २

C
D

दीनदयाल ओझा : म्हारो तो नांव ई दीन सूं सुरू हुवै २०
नवम्बर १९९६ : २५ अंक ८

E
F
G
H
I
J
K

करणीदान बारहठ : सरीर साथ दियो तो और लिखणो चावूं १९
अप्रेल १९९६ : २५ अंक १

L

M
मनोहर वर्मा : सारस्वत प्रदेस रो पथिक २७
फरवरी-मार्च १९९६ : २४ अंक ११-१२

मनोहरसिंह राठौड़ : उदासी रै छिणां में साहित म्हारो सहारो २०
अप्रेल १९९७ : बरस २६ अंक १

N

नंद भारद्वाज : बगत, बदळता हालात अर बैतियांण भाग-१ २२
नवम्बर १९९५ : बरस २४ अंक ७

नंद भारद्वाज : बगत, बदळता हालात अर बैतियांण भाग-२ २१
दिसम्बर १९९५ : बरस २४ अंक ८

नागराज शर्मा : म्हैं एकलव्य री दाईं लाग रैयो हूं १०
मार्च १९९७ : बरस २५ अंक १२

नृसिंह राजपुरोहित : एक यक्ष प्रश्‍न सागै १९
अक्टूबर १९९५ : बरस २४ अंक ७

O

ओंकारश्री : तीखै तेवर री जूझ जारी है २५
सितम्बर १९९५ : बरस २४ अंक ६

P
Q
R
S

सीताराम महर्षि : म्हारो लेखन फगत कोई रो माध्यम है १०
अक्टूबर १९९६ : २५ अंक ७

श्रीमंत कुमार व्यास : म्हारै जींवता राजस्थानी नै मान्यता मिलै १५
अगस्त १९९६ : २५ अंक ५

T

डॉ. तेजसिंह जोधा : ढबो, हाल, म्हनै घणो लिखणो है १४
जून १९९६ : २५ अंक ३

U

डॉ. उदयवीर शर्मा : म्हैं सदा आतम सनमान तांई जीयो २४
सितम्बर १९९६ : २५ अंक ६

V

विनोद सोमानी हंस : सै सूं मोटो काम है सिरजण २५
अक्टूबर १९९७ : बरस २६ अंक ७

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